दोस्तों, भारतीय संस्कृति में मकर सक्रांति के त्यौहार का अपना एक विशेष गौरव है। आइये हम संक्षिप्त में इस त्यौहार के आध्यात्मिक विज्ञान को समझें।
क्या आपने कभी गौर किया कि मकर सक्रांति का त्यौहार हर वर्ष केवल एक ही तिथि – १४ जनवरी को ही क्यों मनाया जाता हैबा? की त्यौहार जैसे होली, दिवाली आदि की तिथि पंचांग के अनुसार बदलती रहती है। किन्तु मकर सक्रांति की तिथि एक ही रहती है।
मकर सक्रांति के पर्व के बाद सूर्योदय का समय जल्दी हो जाता है यानि यह त्यौहार प्रकाश के बढ़ने का संकेत करता है। आध्यात्मिक क्षेत्र से सम्बद्ध रखने वाले पाठक यह समझते होंगे कि प्रकाश ज्ञान का संकेत करता है एवं अंधकार अज्ञान का। अतः मकर सक्रांति के बाद सूर्योदय का जल्दी होना बहुत शुभ माना जा सकता है।

हमें मकर सक्रांति के त्यौहार को कैसे मनाना चाहिए?
देखिये मेरी व्यक्तिगत राय में हर त्यौहार को सही तरीके से मनाने के लिए प्रभु का भजन एवं दान सबसे उत्तम माध्यम है। अतः मकर सक्रांति के दिन शुद्ध सात्त्विक आहार लें एवं भगवान् के ध्यान और कीर्तन में अधिक से अधिक समय व्यतीत करें।
मकर सक्रांति के महत्त्व को बताती विशेष वीडियो
जगद्गुरूत्तम कृपालु जी महाराज के प्रचारक स्वामी निखिलानंद से मकर सक्रान्त के आध्यात्मिक महत्त्व के बारे में उस यूट्यूब के वीडियो द्वारा ज्ञानोपार्जन करें –